पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, September 12, 2009

भ्रष्ट अधिकारियों की संपत्ति जब्ती के लिए कानून बने : प्रधान न्यायाधीश


सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) केजी बालकृष्णन ने भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी सरकारी अफसरों की संपत्ति जब्त किए जाने का पक्ष लेते हुए इस संबंध में वैधानिक प्रावधान की वकालत की है।उन्होंने कहा कि वे वकीलों की विशेष टीम चाहते हैं ताकि भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में मुकदमा चलाने की उनकी विशेषज्ञता में विकास हो। ‘फाइटिंग क्राइम्स रिलेटेड टु करप्शन’ विषय पर शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार में सीजेआई ने कहा ‘यदि कोई सरकारी अफसर जनता की कीमत पर संपत्ति इकट्ठी करता है तो राज्य को उसे जब्त करने का अधिकार होना चाहिए।’

सीजेआई ने अनुमति देने में देर और बड़ी संख्या में गवाहों को इकट्ठा करने को भी सार्थक दोष सिद्धि की राह में बड़ी बाधा माना। उन्होंने कहा कि कोटरें की कमी के कारण भ्रष्टाचार निरोधक इकाइयां लंबित 9000 मामलों के निपटारे में कठिनाई का सामना कर रही हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि अनुमति देने की प्रक्रिया तेज की जाए। उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई के लिए देश में 71 नए सीबीआई कोर्ट खोले जाएंगे।

सीजेआई ने इस बात पर चिंता जताई कि भ्रष्टाचार के मामलों में सीबीआई पुख्ता गवाहों के मुकाबले ज्यादा गवाहों को तरजीह देती है, इससे मामले की सुनवाई लंबी चलती है। उन्होंने कहा ‘आठ से 10 गवाहों के मुकाबले एक पुख्ता गवाह होना चाहिए जो गुनाह को साबित करने में सक्षम हो।’देश में प्रभावी जांच एजेंसी नहीं होने पर चिंता जताते हुए सीजेआई ने अभियोजन और जांच के कामों को विभाजित करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि इस सुझाव का विरोध होगा क्योंकि जांच अधिकारी और अभियोजन वकील आपसी समन्वय से काम करते हैं।’
सीजेआई ने भ्रष्टाचार को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा माना। इस संबंध में उन्होंने 1993 के मुंबई विस्फोट मामले का जिक्र किया, जिसमें तस्करी के हथियारों और विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि आज स्थिति यह है कि आतंकी ऑपरेशनों के लिए पैसे की व्यवस्था हवाला रैकेट से होती है। इस दौरान सीजेआई ने संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान के इस बयान का जिक्र किया ‘भ्रष्टाचार एक आंतरिक प्लेग की तरह है जिसका समाज पर बेहद गहरा और विनाशकारी असर होता है।’
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन ने देश में फैले भ्रष्टाचार के मकड़जाल पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नरेगा सहित गरीबों व दलितों के उत्थान के इरादे से शुरू की गई लगभग सभी महत्वाकांक्षी योजनाएं बिचौलियों और दलालों के चंगुल में फंसी हुई है।

न्यायाधीश बालाकृष्णन ने खुले मन से स्वीकार किया कि भ्रष्टाचार की जद में न्यायपालिका भी आ चुकी है। मुख्य न्यायाधीश ने एक संगोष्ठि में कहा कि न केवल केन्द्र की नरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना बल्कि गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वालों के लिए चल रही जनवितरण प्रणाली भी भ्रष्टाचार का गढ़ बना हुई है। उन्होंने कहा कि चाहे राशन कार्ड बनवाना हो या बिजली और पानी का कनेक्शन लेना हो, चारों ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला है।

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