राजस्थान उच्च न्यायालय ने राजस्थान नगर पालिका विधेयक एवं अधिनियम 2009 में पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों में महिलाओं के आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका में आदेश दिया कि सरकार आरक्षण की प्रक्रिया को तो जारी रख सकती है लेकिन अदालत की अनुमति के बिना इसे अंतिम रप नही दे सकती !
मुख्य न्यायाधीश जगदीश भल्ला एवं न्यायमूर्ति मनीष भंडारी की खंडपीठ ने यह आदेश आज प्रार्थी मोहम्मद कलीम तथा अन्य की याचिका की सुनवाई के बाद दिए !
याचिकाकर्ता ने राजस्थान नगर पालिका विधेयक एवं अधिनियम 2009 के सैक्शन.6. एवं .7. जिसके तहत पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत पद आरक्षित कर दिए है याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 के खिलाफ है1 याचिका में कहा गया कि नगर पालिका अधिनियम 1959 की धारा 9 में आरक्षण चार वर्गो में बांटा गया है जिसमें अनुसूचित जाति ,जनजाति, अन्य पिछडा वर्ग एवं महिला शामिल है अब सरकार के इस नये संशोधित विधेयक से आरक्षण का आंकडा 75 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा, जबकि उच्चतम न्यायालय के निर्णयानुसार आरक्षण पचास प्रतिशत से अधिक नही होना चाहिये1मामले को सुनवाई के बाद न्यायालय ने मुख्य सचिव, स्वायत शासन सचिव , सीकर के जिला कलेक्टर , नगर परिषद सीकर के अध्यक्ष से जवाब तलब किया है !
मुख्य न्यायाधीश जगदीश भल्ला एवं न्यायमूर्ति मनीष भंडारी की खंडपीठ ने यह आदेश आज प्रार्थी मोहम्मद कलीम तथा अन्य की याचिका की सुनवाई के बाद दिए !
याचिकाकर्ता ने राजस्थान नगर पालिका विधेयक एवं अधिनियम 2009 के सैक्शन.6. एवं .7. जिसके तहत पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत पद आरक्षित कर दिए है याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 के खिलाफ है1 याचिका में कहा गया कि नगर पालिका अधिनियम 1959 की धारा 9 में आरक्षण चार वर्गो में बांटा गया है जिसमें अनुसूचित जाति ,जनजाति, अन्य पिछडा वर्ग एवं महिला शामिल है अब सरकार के इस नये संशोधित विधेयक से आरक्षण का आंकडा 75 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा, जबकि उच्चतम न्यायालय के निर्णयानुसार आरक्षण पचास प्रतिशत से अधिक नही होना चाहिये1मामले को सुनवाई के बाद न्यायालय ने मुख्य सचिव, स्वायत शासन सचिव , सीकर के जिला कलेक्टर , नगर परिषद सीकर के अध्यक्ष से जवाब तलब किया है !
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