सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर वह किसी हाई कोर्ट की ओर से पारित दोषमुक्ति के आदेश को तर्कविरूद्ध और मोटे तौर पर अन्यायपूर्ण पाता है तो वह उसे पलटने के लिये अपनी विशिष्ट शक्तियों के इस्तेमाल से नहीं हिचकेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर दो मत तर्कसंगत रूप से संभव हैं यानी एक दोषसिद्धी का संकेत दे और एक अन्य दोषमुक्ति का, तो यह अदालत दोषमुक्ति के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
न्यायालय ने एक दोहरे हत्याकांड में तीन व्यक्तियों की दोषसिद्धी और उम्र कैद की सजा बहाल रखते हुए कहा कि लेकिन अगर यह न्यायालय दोषमुक्ति को तर्कविरूद्ध, प्रत्यक्ष रूप से अवैध या मोटे तौर पर अन्यायपूर्ण पाता है तो वह उस आदेश में हस्तक्षेप करने से नहीं हिचकेगा। शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत प्रदत्त विशिष्ट अपीलीय शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आरोपियों को दोषी करार दिया।
इस मामले में आरोपी पेट्रोल पंप संचालक कएणाकर पांडे तथा प्रभाकर पांडे और एक अन्य व्यक्ति ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में 24 मई 1994 को दिनदहाड़े दो लोगों की हत्या की थी। आपस में भाई राजेश और ब्रजेश को आरोपियों ने पेट्रोल पंप पर विवाद होने के बाद गोली मार दी थी। इसके गवाह मृतकों के पिता राज नारायण सिंह थे। एक अन्य चश्मदीद गवाह सुनील सिंह थे।
बहरहाल, सत्र अदालत ने दोनों को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनायी थी, पर बाद में हाई कोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया। इसके बाद मृतकों के पिता ने शीर्ष अदालत में अपील की।
सम्पूर्ण निर्णय
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