पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, September 26, 2009

विवाद में मजदूरों को जरूर सुनें कोर्ट - सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मजदूरों से जुड़े विवाद के मामले में फैसला सुनाने से पहले श्रमिक या मजदूर संगठन का पक्ष जरूर सुना जाना चाहिए, नहीं तो यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन होगा।
जस्टिस मार्कण्डेय काटजू और जस्टिस अशोक कुमार गांगुली की बेंच ने कहा कि श्रम कानूनों का मकसद श्रमिकों को सुविधा प्रदान करना है, इसलिए सामान्य तौर पर श्रम कानून के तहत सभी मामलों में श्रमिकों या कम से कम उनका प्रतिनिधित्व करने वालों या मजदूर संगठनों को एक पक्ष बनाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने त्रावणकोर स्थित कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) अदालत को कुछ मजदूरों का पक्ष सुनने का निर्देश दिया। इन मजदूरों को फर्टिलाइजर केमिकल त्रावणकोर लिमिटेड ने मेडिकल इन्शुअरंस सुविधा देने से तब तक इनकार कर दिया था, जब तक कि इस योजना के तहत मजदूर की योग्यता तय की जा सके।

इससे पहले ईएसआई अदालत ने इस विवाद पर कोई फैसला जारी नहीं किया था और केरल हाई कोर्ट ने कंपनी से मजदूरों को ईएसआई सुविधा मुहैया कराने का निर्देश दिया था। ये मजदूर गोदाम में सामान ढोने का काम करते थे। हालांकि मामले की सुनवाई के दौरान न तो ईएसआई कोर्ट और न ही केरल हाई कोर्ट ने पीड़ित श्रमिकों की गवाही नहीं ली।
सम्पूर्ण निर्णय

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