सड़क पार कर रहे हैं और कोई गाड़ी वाला टक्कर मारकर भाग जाता है। चूंकि गाड़ी स्पीड में थी लिहाजा कोई उसका नंबर भी नहीं पढ़ सका। ऐसे 'हिट एंड रन' मामलों में बहुत मामूली रकम दुर्घटना के शिकार व्यक्ति या उसके परिजनों को मिलती है। परंतु अब ऐसा नहीं होगा। सरकार मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन करने जा रही है, जिसके बाद मुआवजे की रकम चौगुनी हो जाएगी।
मौजूदा मोटर वाहन अधिनियम, 1988 का है। इसमें 'हिट एंड रन' मामलों में गंभीर रूप से घायल होने पर 12 हजार पांच सौ रुपये तथा मौत होने पर परिजनों को 25 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति का प्रावधान है। आज के हालात में इस रकम को बहुत मामूली माना जा रहा है। लिहाजा मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन कर क्षतिपूर्ति में बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया गया है। संशोधन विधेयक में हिट एंड रन मामलों में गंभीर रूप से घायल होने पर 50 हजार रुपये तथा मौत होने पर एक लाख रुपये की क्षतिपूर्ति का प्रस्ताव है।
मुआवजे की रकम बीमा कंपनी द्वारा अदा की जाएगी। इसके लिए सोलैटियम फंड के नाम से एक राष्ट्रीय कोष बना हुआ है। इसका प्रबंध जनरल इंश्योरेंस कारपोरेशन द्वारा किया जाता है। इस फंड के लिए रकम मोटर बीमा पालिसियों पर सरचार्ज के जरिए जुटाई जाती है। मुआवजा राशि का भुगतान जिला मजिस्ट्रेट की ओर से किया जाता है।
इसी तरह 'नो फाल्ट प्रिंसिपल' के तहत आने वाले मामलों में भी मुआवजा राशि बढ़ाई जा रही है। ये ऐसे मामले होते हैं जिनमें दुर्घटना का शिकार व्यक्ति या परिजन यह साबित करने की स्थिति में नहीं होते कि चालक लापरवाही से गाड़ी चला रहा था। मौजूदा एक्ट में ऐसे मामलों को धारा 163 ए की द्वितीय अनुसूची के तहत परिभाषित किया गया है। इसमें सबसे ज्यादा क्षतिपूर्ति 25-30 वर्ष के लोगों को अधिकतम 40 हजार रुपये की आय के आधार पर देने का प्रावधान है। स्थायी रूप से विकलांग होने पर मुआवजे की रकम 7.20 लाख रुपये तथा मृत्यु होने पर 4.80 लाख रुपये रखी गई है। संशोधन विधेयक में इन प्रावधानों में भी बदलाव किया गया है। अब 25-30 आयुवर्ग के लिए अधिकतम एक लाख रुपये की आय के मुताबिक मुआवजे को बढ़ाकर क्रमश: 12 लाख रुपये और 10 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है। विकलांग को क्षतिपूर्ति इसलिए ज्यादा रखी जाती है क्योंकि उसकी देखभाल पर ज्यादा खर्च आता है।
इतना ही नहीं, अब ऐसे मामलों में भी क्षतिपूर्ति मिलेगी जहां दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की कोई कमाई न हो। ऐसे मामलों में घायल होने पर एक लाख और मृत्यु होने पर परिवार वालों को डेढ़ लाख रुपये की निश्चित रकम प्रदान की जाएगी।
दूसरी ओर 'फाल्ट प्रिंसिपल' वाले मामलों, यानी जहां ड्राइवर की लापरवाही साबित करना संभव हो और मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल अथवा दीवानी अदालत में क्षतिपूर्ति के लिए आवेदन दिया गया हो, ऐसे मामलों में भी मुआवजे की रकम पहले से काफी ज्यादा की जा रही है। यह नया प्रावधान भी शामिल किया गया है कि यदि दुर्घटना से प्रभावित लोग किसी अन्य कानून के तहत क्षतिपूर्ति का दावा करते हैं तो उन्हें इससे रोका नहीं जाएगा।
मौजूदा मोटर वाहन अधिनियम, 1988 का है। इसमें 'हिट एंड रन' मामलों में गंभीर रूप से घायल होने पर 12 हजार पांच सौ रुपये तथा मौत होने पर परिजनों को 25 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति का प्रावधान है। आज के हालात में इस रकम को बहुत मामूली माना जा रहा है। लिहाजा मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन कर क्षतिपूर्ति में बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया गया है। संशोधन विधेयक में हिट एंड रन मामलों में गंभीर रूप से घायल होने पर 50 हजार रुपये तथा मौत होने पर एक लाख रुपये की क्षतिपूर्ति का प्रस्ताव है।
मुआवजे की रकम बीमा कंपनी द्वारा अदा की जाएगी। इसके लिए सोलैटियम फंड के नाम से एक राष्ट्रीय कोष बना हुआ है। इसका प्रबंध जनरल इंश्योरेंस कारपोरेशन द्वारा किया जाता है। इस फंड के लिए रकम मोटर बीमा पालिसियों पर सरचार्ज के जरिए जुटाई जाती है। मुआवजा राशि का भुगतान जिला मजिस्ट्रेट की ओर से किया जाता है।
इसी तरह 'नो फाल्ट प्रिंसिपल' के तहत आने वाले मामलों में भी मुआवजा राशि बढ़ाई जा रही है। ये ऐसे मामले होते हैं जिनमें दुर्घटना का शिकार व्यक्ति या परिजन यह साबित करने की स्थिति में नहीं होते कि चालक लापरवाही से गाड़ी चला रहा था। मौजूदा एक्ट में ऐसे मामलों को धारा 163 ए की द्वितीय अनुसूची के तहत परिभाषित किया गया है। इसमें सबसे ज्यादा क्षतिपूर्ति 25-30 वर्ष के लोगों को अधिकतम 40 हजार रुपये की आय के आधार पर देने का प्रावधान है। स्थायी रूप से विकलांग होने पर मुआवजे की रकम 7.20 लाख रुपये तथा मृत्यु होने पर 4.80 लाख रुपये रखी गई है। संशोधन विधेयक में इन प्रावधानों में भी बदलाव किया गया है। अब 25-30 आयुवर्ग के लिए अधिकतम एक लाख रुपये की आय के मुताबिक मुआवजे को बढ़ाकर क्रमश: 12 लाख रुपये और 10 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है। विकलांग को क्षतिपूर्ति इसलिए ज्यादा रखी जाती है क्योंकि उसकी देखभाल पर ज्यादा खर्च आता है।
इतना ही नहीं, अब ऐसे मामलों में भी क्षतिपूर्ति मिलेगी जहां दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की कोई कमाई न हो। ऐसे मामलों में घायल होने पर एक लाख और मृत्यु होने पर परिवार वालों को डेढ़ लाख रुपये की निश्चित रकम प्रदान की जाएगी।
दूसरी ओर 'फाल्ट प्रिंसिपल' वाले मामलों, यानी जहां ड्राइवर की लापरवाही साबित करना संभव हो और मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल अथवा दीवानी अदालत में क्षतिपूर्ति के लिए आवेदन दिया गया हो, ऐसे मामलों में भी मुआवजे की रकम पहले से काफी ज्यादा की जा रही है। यह नया प्रावधान भी शामिल किया गया है कि यदि दुर्घटना से प्रभावित लोग किसी अन्य कानून के तहत क्षतिपूर्ति का दावा करते हैं तो उन्हें इससे रोका नहीं जाएगा।
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