पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, September 25, 2009

पहले गलत फैसला, अब एक करोड़ का हर्जाना।


पंजाब उच्च न्यायालय ने हत्या के एक फर्जी मामले में सजा पाए नछत्तर सिंह और चार अन्य सहअभियुक्तों को बरी करते हुए पंजाब सरकार को उन्हें एक करोड़ रुपये का हर्जाना देने का आदेश दिया है।
पंजाब पुलिस की असंवेदनशीलता और मिलीभगत ने भी नछत्तर सिंह और अन्य के खिलाफ एक व्यक्ति की हत्या के साक्ष्य गढ़ने में मदद की। इससे सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा मिली। इन लोगों को पांच वर्ष जेल में भी बिताने पड़े।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में जिस व्यक्ति की हत्या करने का आरोप था वह पिछले वर्ष दिसम्बर में फिर से प्रकट हो गया।
पंजाब के कस्बे बरनाला के समीप के एक गांव के रहने वाले नछत्तर सिंह के साथ उसके पुत्र सिरा सिंह, अमरजीत सिंह, निक्का सिंह और सुरजीत सिंह को जगसीर सिंह की वर्ष 1996 में कथित हत्या के मामले में निचली अदालत ने वर्ष 2001 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
बुधवार को दिए गए अपने फैसले में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने इन सभी को बरी करते हुए पंजाब सरकार को उन्हें कुल एक करोड़ रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया।
न्यायालय के इस फैसले से संतुष्ट नछत्तर सिंह और अन्य ने कहा कि वह उन्हें फंसाने वालों के खिलाफ नया मामला नहीं दायर करेंगे।
बचाव पक्ष के वकील विनोद गिरी ने गुरुवार को बताया, "हम नया मामला दायर नहीं करने जा रहे हैं। न्यायालय ने पुलिस को एक नई जांच आरंभ करने और नछत्तर सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वालों तथा उनसे मिलीभगत वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। इस मामले में जांच अधिकारी ने शिकायतकर्ताओं से मिलकर काम किया है।"

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