सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि अदालतें ऎसे उपयुक्त आपराधिक मामलों की जांच की निगरानी कर सकती हैं जहां उन्हें लगता है कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच नहीं हो रही है। न्यायाधीश अल्तमस कबीर और न्यायाधीश सिरियाक जोसफ की खण्डपीठ ने अपने फैसले में कहा कि अदालतें खासकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट इंसाफ की प्रहरी हैं और उन्हें नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक समीक्षा और निगरानी का असाधारण अधिकार प्राप्त है। खंडपीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय के एक फैसले को बरकरार रखते हुए अपीलकर्ता बाबूभाई जमुना दास पटेल की अपील को खारिज कर दिया।Sunday, September 6, 2009
अदालतें कर सकती हैं निगरानी- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि अदालतें ऎसे उपयुक्त आपराधिक मामलों की जांच की निगरानी कर सकती हैं जहां उन्हें लगता है कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच नहीं हो रही है। न्यायाधीश अल्तमस कबीर और न्यायाधीश सिरियाक जोसफ की खण्डपीठ ने अपने फैसले में कहा कि अदालतें खासकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट इंसाफ की प्रहरी हैं और उन्हें नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक समीक्षा और निगरानी का असाधारण अधिकार प्राप्त है। खंडपीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय के एक फैसले को बरकरार रखते हुए अपीलकर्ता बाबूभाई जमुना दास पटेल की अपील को खारिज कर दिया।
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