पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, September 10, 2009

फैसले नहीं, इंसाफ हो-मुख्य न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय

राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जगदीश भल्ला ने कहा कि अदालतों में सिर्फ फैसले ही नहीं, बल्कि इंसाफ होना चाहिए। वे जोधपुर में बुधवार को वकील संगठनों की ओर से उनके सम्मान में आयोजित स्वागत समारोह को संबोधित कर रहे थे। राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद पहली बार मुख्यपीठ में न्यायाधीशों व वकीलों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि न्याय दिलाना धर्म का कार्य है। बार और बैंच धर्म रथ हैं। समाज हमसे व आपसे त्वरित फैसलों व इंसाफ की उम्मीद करता है। इसलिए न्याय में देरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालतों में न सिर्फ फैसले होने चाहिए, बल्कि इंसाफ होना चाहिए। अदालतों में तीन दशक पुराने मामले विचाराधीन है इससे कानूनी तंत्र पर अंगुली उठना लाजिमी है। उन्होंने सबसे पुराने मामले को प्राथमिकता से निपटाने व वकीलों से सहयोग की अपील की।

राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेटस एसोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत जोशी ने मुख्य न्यायाधीश का परिचय देते हुए कहा कि न्यायाधीश भल्ला ने उस समय शपथ ली जब मारवाड़ हाईकोर्ट के विभाजन की मांग के मुद्दे पर जल रहा था। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उस समय जोधपुर जल नहीं रहा था बल्कि निखर रहा था। इसी का नतीजा है कि मुख्यपीठ और विखंडित होने से रह गई। उन्होंने कहा कि हमें किसी प्रदेश या क्षेत्र विशेष के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ना चाहिए।
हाईकोर्ट के विभाजन की मांग को खारिज करने पर दिए गए धन्यवाद के जवाब में भल्ला ने कहा कि आदमी आदमी को क्या देगा, जो भी देगा खुदा देगा। मुख्य न्यायाधीश स्वागत समारोह में बहुत की सहज नजर आ रहे थे। उन्होंने कहा कि वे 23 वर्ष तक बार में रहे है और आज फिर उन्हें बार में आने का मौका मिला है। उनका कहना था कि प्यार की कोई भाषा नहीं होती, कौन कहता है मोहब्बत की कोई जुबां नहीं होती, यह हकीकत तो निगाहों से बयां होती है।



हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत जोशी, लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आनंद पुरोहित ने भी समारोह में विचार व्यक्त किए। संचालन उपाध्यक्ष विनय जैन ने किया जबकि महासचिव नाथूसिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में हाईकोर्ट व अधीनस्थ अदालतों के न्यायाधीश, रजिस्ट्री अधिकारी व अधिवक्ता मौजूद थे।

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