उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का वस्तुत: अस्तित्व नहीं है और अगर उनका अस्तित्व है भी तो उनका इस्तेमाल सामग्री को काले बाजार में भेजने में किया जा रहा है।प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन, न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम और न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ ने कहा पीडीएस अनेक राज्यों में काम नहीं कर रहा है। पीडीएस है ही नहीं। पीडीएस में एक भी चीज उपलब्ध नहीं है। उसका इस्तेमाल सामग्रियों को काले बाजार में भेजने में किया जा रहा है। पीठ ने यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस के उन सुझावों का उपहास उड़ाते हुए की जिसमें भूखमरी के कगार पर पहुंचे बंद चाय बागान के हजारों मजदूरों के लिए विशेष पीडीएस खोलने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने श्रमिकों की त्रासदी को कम करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, इसका जवाब देने के लिए कुछ राज्यों को चार और हफ्ते का वक्त दिया। गोंजाल्विस ने कहा कि सरकार को चाय बागान मजदूरों के लाभ के लिए विशेष पीडीएस काउन्टर खोलने का निर्देश दिया जाना चाहिए। जो बेरोजगार हैं और भूखमरी के कगार पर हैं।
उन्होंने शिकायत की कि शीर्ष अदालत के पूर्व के आदेश के बावजूद राज्य अगस्त 2006 में न्यायालय की ओर से भूख के कारण चाय बागान श्रमिकों की कथित तौर पर हुई मत्यु के मामले में जारी नोटिस का जवाब देने में विफल रहे।
जिन राज्यों में चाय बागानों को बंद किया गया है। उनमें असम, कर्नाटक, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, त्रिपुरा और हिमाचल शामिल हैं।
शीर्ष अदालत ने श्रमिकों की त्रासदी को कम करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, इसका जवाब देने के लिए कुछ राज्यों को चार और हफ्ते का वक्त दिया। गोंजाल्विस ने कहा कि सरकार को चाय बागान मजदूरों के लाभ के लिए विशेष पीडीएस काउन्टर खोलने का निर्देश दिया जाना चाहिए। जो बेरोजगार हैं और भूखमरी के कगार पर हैं।
उन्होंने शिकायत की कि शीर्ष अदालत के पूर्व के आदेश के बावजूद राज्य अगस्त 2006 में न्यायालय की ओर से भूख के कारण चाय बागान श्रमिकों की कथित तौर पर हुई मत्यु के मामले में जारी नोटिस का जवाब देने में विफल रहे।
जिन राज्यों में चाय बागानों को बंद किया गया है। उनमें असम, कर्नाटक, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, त्रिपुरा और हिमाचल शामिल हैं।
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