पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, September 23, 2009

स्वास्थ्य सेवाएं हासिल करना देश के नागरिकों का मूलभूत अधिकार -दिल्ली हाईकोर्ट


दिल्ली हाईकोर्ट ने अपोलो अस्पताल प्रशासन व दिल्ली सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आदेश दिया है कि अपोलो में गरीब लोगों का मुफ्त इलाज किया जाए। हाई कोर्ट ने इससे पहले भी दिल्ली सरकार को आदेश दिया था कि वह अपोलो को गरीबों का मुफ्त इलाज करने के लिए बाध्य करे। लेकिन सरकार व अपोलो दोनों ने ही कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की। इससे नाराज अदालत ने अपोलो व दिल्ली सरकार पर दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

अपोलो को अस्पताल बनाने के लिए बेहद सस्ती दरों पर सरकारी जमीन दी गई थी। जमीन लेते समय अपोलो प्रशासन ने वादा किया था कि एक निश्चित संख्या में गरीब मरीजों का अस्पताल में मुफ्त इलाज होगा। हालांकि बाद में अस्पताल अपने इस वादे से मुकर गया। कोर्ट के चीफ जस्टिस अजित प्रकाश शाह व जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने यह अहम फैसला देते हुए अपोलो अस्पताल को आदेश दिया कि वह ओपीडी में 40 प्रतिशत आरक्षण गरीब मरीजों को दे।

साथ ही अस्पताल में कुल 33 प्रतिशत बेड निम्न आयवर्ग के लोगों के लिए आरक्षित रखे। 12 वर्षो से चले आ रहे इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं हासिल करना देश के नागरिकों का मूलभूत अधिकार है व इससे किसी भी व्यक्तिको वंचित नहीं रखा जाना चाहिए।

इससे पहले 18 अगस्त को कोर्ट ने अपोलो अस्पताल से गरीबों के इलाज पर आने वाले खर्च की जानकारी मांगी थी। अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी सरकारी अस्पतालों में एक व्यवस्था कायम करे जिसके तहत सरकारी अस्पतालों में आने वाले कुछ मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में भेजा जाए। साथ ही मेडिकल सुपरिंटेंडेंट स्तर के एक डॉक्टर को बतौर नोडल अधिकारी नियुक्त करने को भी कहा गया है। यह अधिकारी प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को भेजे जाने संबंधी प्रकिया व प्राइवेट अस्पतालों में इन रोगियों के इलाज पर नजर रखेगा।

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