पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, September 18, 2009

पहली ही सुनवाई में फैसला?

भारत में अक्सर न्यायिक प्रक्रिया की धीमी गति की शिकायत की जाती हैं लेकिन एक न्यायालय ने पहली ही सुनवाई में मुलजिम को सजा देकर त्वरित न्याय देने का रिकार्ड कायम कर दिया है। 
बुधवार को न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम, ऊना अबीरा वासू की अदालत ने चोरी की कोशिश के आरोप में पकडे़ गए अभियुक्त को सुनवाई के पहले ही दिन सजा सुना दी। अदालत ने गवाहों के बयान और जांच अधिकारी की गवाही के बाद अभियुक्त सत्य नारायण पुत्र ईश्वर चंद निवासी उन्नावा, तहसील पुंडरी जिला कैथल, हरियाणा को चार महीने की सजा सुनाई। 
अदालत ने उस पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी ठोंका। जुर्माना अदा न करने पर दोषी को एक माह के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई। जिला उपन्यायवादी डीके चौधरी ने बताया, अभियुक्त के खिलाफ स्थानीय विकास नगर मोहल्ले के वार्ड-4 निवासी अरविंद कुमार ने चोरी की कोशिश करने की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने अभियुक्त को मौके पर ही पकड़ लिया था।
अरविंद के मुताबिक वह 21 मई 2009 को घर के नजदीक ही एक प्लाट में अपने बेटे का जन्मदिन मना रहे थे। करीब रात एक बजे उन्हें किसी काम से घर आना पड़ा। आकर देखा तो सत्य नारायण घर में घुसकर चोरी का प्रयास कर रहा था। इस मामले में अदालत ने पहली ही सुनवाई में सत्य नारायण को सजा देकर जिले में त्वरित न्याय देने का रिकार्ड कायम कर दिया है।

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