पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, September 19, 2009

जस्टिस पी. डी. दीनाकरन मुद्दे पर नहीं हुआ फैसला


कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पी. डी. दीनाकरन के प्रमोशन की सिफारिश संबंधी मसले पर शुक्रवार को हुई सुप्रीम कोर्ट के सिलेक्शन पैनल (कोलेजियम) की बैठक बेनतीजा रही। बेतहाशा संपत्ति रखने के आरोपों से घिरे दीनाकरन के प्रमोशन की सिफारिश की समीक्षा करने की मांग की गई थी पर कोलेजियम इस बारे में किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया।

चीफ जस्टिस के. जी. बालाकृष्णन के ऑफिस से उनके निवास के बाहर इंतजार कर रहे पत्रकारों के लिए भेजी गई मौखिक सूचना में कहा गया कि इस मसले पर कोई फैसला नहीं किया गया है। चीफ जस्टिस के अधिकारी ने बताया कि मुझे मीडिया को यह बताने को कहा गया है कि कोलेजियम की बैठक में दीनाकरन मुद्दे पर कोई फैसला नहीं किया गया।

इससे पहले बालाकृष्णन की अध्यक्षता में हुई बैठक 35 से 40 मिनट तक चली थी। चीफ जस्टिस और सिलेक्शन पैनल के चार अन्य सदस्यों जस्टिस बी. एन. अग्रवाल, एस. एच. कपाडि़या, तरुण चटर्जी और अल्तमस कबीर ने दीनाकरन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। दीनाकरन के खिलाफ बार के सीनियर सदस्यों ने कानून के तहत अनुमति से ज्यादा संपत्ति रखने का आरोप लगाया है। बार असोसिएशन दीनाकरन को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए जाने संबंधी चयन मंडल की सिफारिश का विरोध कर रहा है।

उधर, दीनाकरन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच दो जाने माने न्यायविदों पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण और संविधान विशेषज्ञ अनिल दीवान ने इस मसले पर कर्नाटक के लोकायुक्त से जांच कराने का सुझाव दिया है। इन दोनों ने शुक्रवार को कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली से मुलाकात कर इस मसले पर अपना मत दिया था। एक अन्य विकल्प यह रखा गया कि चूंकि दीनाकरन सुप्रीम कोर्ट के जजों मार्कंडेय काटजू और ए. के. गांगुली के तहत काम कर चुके हैं इसलिए कोलेजियम उनकी राय जरूर ले।
स्रोत

0 टिप्पणियाँ: