पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, September 26, 2009

दिल्ली में लंबित हैं चेक बाउंस के पांच लाख मामले।


दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि दिल्ली से बाहर के बाउंस चेक के मामलों की अब यहां कोई सुनवाई नहीं होगी। मुख्य न्यायाधीश अजीत प्रकाश साह और न्यायमूर्ति मनमोहन की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि हम क्षेत्रधिकार से बाहर के बाउंस चेक की शिकायतों को लौटाने का निर्देश देते हैं। अदालतों में ऐसी शिकायतों की भरमार हैं।

 जिन पर विचार नहीं किया जा सकता। ऐसी शिकायतों से निचली अदालतों का कामकाज प्रभावित होता है। न्यायाधीश अपने क्षेत्राधिकार के दूसरे मामले निपटा नहीं पाते हैं क्योंकि उनका सारा समय चेक बाउंस मामलों की सुनवाई में चला जाता है जो उनके क्षेत्राधिकार से बाहर के होते हैं।दिल्ली उच्च न्यायालय विधिक सेवा प्राधिकरण ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मांग की है कि दिल्ली के बाहर के सभी चेक बाउंस शिकायतों को लौटा दिया जाना चाहिए। प्राधिकरण की वकील ज्योति सिंह की दलील थी कि विभिन्न संस्थान बैंक तथा अन्य शिकायतकर्ता अपनी सुविधा के लिए यहां की अदालतों में ऐसी शिकायतों को लेकर पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्राधिकार पर बिना विचार किए मामला दायर कर दिया जाता है। इस पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है कि आरोपी केरल जैसे दूर दराज के राज्य में रह रहा है।

इन मामलों के निस्तारण में बहुत अधिक समय लगता है क्योंकि या तो आरोपी के विरुद्ध नोटिस नहीं जारी किया जाता या फिर आरोपी यह सोचकर पेश नहीं होता है कि जितने रुपए का मामला नहीं है उससे कहीं अधिक उसे पेशी के लिए दिल्ली जाने में खर्च हो जाएगा। उच्च न्यायालय ने प्राधिकरण की वकील से हामी भरते हुए बाहर के चेक बाउंस मामलों की यहां सुनवाई नहीं होने की व्यवस्था दी।

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