राजस्थान क्रिकेट संघ (आरसीए) के अध्यक्ष संजय दीक्षित को पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी के समर्थन वाले विरोधी खेमे ने आज यहां एक नाटकीय घटनाक्रम में अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उनके पद से हटा दिया।
मोदी के इस वर्ष के शुरू में हुए आरसीए अध्यक्ष पद के चुनाव में दीक्षित के हाथों शिकस्त झेलने के बाद से ही संगठन के दोनों गुटों में जबर्दस्त खींचतान चल रही थी। विरोधी खेमे में किशोर रूंगटा, पूर्व सचिव सुभाष जोशी, अशोक ओहरी और पूर्व उपाध्यक्ष विमल सोनी शामिल हैं। पूर्व सचिव जोशी ने इस घटना का विवरण देते हुए बताया कि संगठन की वार्षिक आम बैठक में श्रीगंगानगर जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष महमूद अब्दी ने दीक्षित के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिसे २० सदस्यीय सदन ने स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा, चूंकि बहुमत का दीक्षित में विश्वास नहीं रह गया था इसलिए उन्हें अध्यक्ष पद से हटा दिया गया, अब उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आर एस लाहौटी की निगरानी में अध्यक्ष पद के लिए ताजा चुनाव होगा। जोशी ने बताया कि दीक्षित को पद से हटाने के साथ ही उनके द्वारा २९ मार्च को अपना प्रभार संभालने के बाद से लिए गए सभी फैसले रद्द कर दिए गए हैं जिनमें विभिन्न समितियों का गठन और विमल राय सोनी तथा शमशेर ङ्क्षसह का निलंबन भी शामिल है। दीक्षित ने एक दिन पहले ही सोनी और शमशेर को संगठन के खिलाफ बयानबाजी का आरोप लगाते हुए निलंबित कर दिया था।
जोशी ने बताया कि उपाध्यक्ष राजेन्द्र राठौड़ २४ सितंबर को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की वार्षिक आम बैठक में आरसीए का प्रतिनिधित्व करेंगे जबकि गिरिराज सांड्या सचिव का कामकाज देखेंगे।
अध्यक्ष पद से हटाए जाने के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दीक्षित ने कहा कि यह पूरी तरह असंवैधानिक है और उन्हें हटाने के लिए जिला संघों को पैसे का लालच भी दिया गया।
जोशी ने बताया कि उपाध्यक्ष राजेन्द्र राठौड़ २४ सितंबर को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की वार्षिक आम बैठक में आरसीए का प्रतिनिधित्व करेंगे जबकि गिरिराज सांड्या सचिव का कामकाज देखेंगे।
अध्यक्ष पद से हटाए जाने के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दीक्षित ने कहा कि यह पूरी तरह असंवैधानिक है और उन्हें हटाने के लिए जिला संघों को पैसे का लालच भी दिया गया।
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