राजस्थान हाई कोर्ट ने आरपीएमटी-2009 में फर्जी परीक्षार्थियों के शामिल होने के मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच पुलिस महानिरीक्षक (कार्मिक) पी.के.सिंह को सौंपी है। हाई कोर्ट ने उन्हें निर्देश दिया कि वे परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े में शामिल रैकेट की गहनता से जांच के लिए विशेष जांच टीम गठित करें, जिसमें राज्य फोंरेंसिक लेबोरेट्री का एक हस्तलिखित विशेषज्ञ भी शामिल हो।
यह आदेश न्यायाधीश आर.एस.राठौड़ ने सीकर निवासी झाबरमल जाट की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। न्यायाधीश ने जांच कमेटी को निर्देश दिया कि वह उन लोगों का भी पता लगाए, जिन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर परीक्षाओं के आयोजन कराने में सहयोग दिया। न्यायाधीश ने कहा कि ये लोग भी इस रैकेट को सहयोग देने के लिए जिम्मेदार हैं। हाई कोर्ट ने टीम को निर्देश दिया कि वह 29 सितंबर को अपनी रिपोर्ट पेश करे।
याचिकाकर्ता की वकील अनुराधा सोनी ने बताया कि पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने स्वीकार किया था कि आरपीएमटी परीक्षा में फर्जी तरीके से प्रवेश हुआ है। जांच के लिए गठित कमेटी के सामने कुछ फर्जी परीक्षार्थियों के मामले आए हैं। इनमें से पांच विद्यार्थियों के अंगूठे के निशान लेकर उसे राज्य के स्टेट क्राइम ब्यूरो को भेजा गया है। तीन विद्यार्थियों के खिलाफ विश्वविद्यालय ने अशोक नगर थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया था। उन्होंने कहा कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर फर्जी परीक्षार्थियों बैठे थे। इसलिए मामले की गंभीरता से जांच कराई जाए।
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