बंबई उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में कहा है कि पति पर पत्नी का शक करना क्रू रता के दायरे में नहीं आता और इसके आधार पर पति को तलाक नहीं दिया जा सकता है। अदालत ने पुणे की एक परिवार अदालत के फैसले को पलटते हुए कहा कि महज इस आधार पर कि कि पत्नी को लगता है कि पति का किसी दूसरी औरत के साथ चक्कर चल रहा है, तलाक नहीं दिया जा सकता है।
न्यायमूर्ति पी बी मजमूदार और आर वी मोरे ने अपने फैसले में कहा कि शादी के बाद कोई स्त्री अपने पति की जिंदगी में दूसरी औरत बर्दाश्त नहीं कर सकती है। परिवार अदालत के फैसले को पलटते हुए जजों ने राजेश और स्मिता (बदला हुआ नाम) को फिर से साथ होने के लिए कहा, ताकि वे एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझ सकें। इस मामले में राजेश ने इस आधार पर तलाक के लिए मामला दायर किया था कि उसकी पत्नी उसके चरित्र पर संदेह करती है। यह स्मिता का उसके प्रति क्रूर आचरण है।
न्यायमूर्ति पी बी मजमूदार और आर वी मोरे ने अपने फैसले में कहा कि शादी के बाद कोई स्त्री अपने पति की जिंदगी में दूसरी औरत बर्दाश्त नहीं कर सकती है। परिवार अदालत के फैसले को पलटते हुए जजों ने राजेश और स्मिता (बदला हुआ नाम) को फिर से साथ होने के लिए कहा, ताकि वे एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझ सकें। इस मामले में राजेश ने इस आधार पर तलाक के लिए मामला दायर किया था कि उसकी पत्नी उसके चरित्र पर संदेह करती है। यह स्मिता का उसके प्रति क्रूर आचरण है।
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