पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, September 29, 2009

भूमि विकास संभावना कम मुआवजे का आधार नहीं-उच्चतम न्यायालय


हजारों भूमि मालिकों को लाभ पहुंचाने वाले एक फैसले में उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि सरकार किसी भूमि मालिक को महज इस आधार पर कम मुआवजा नहीं दे सकती क्योंकि जमीन में विकास की संभावना नहीं है।
शीर्ष न्यायालय ने गोवा सरकार द्वारा बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ की गयी अपील को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। बंबई उच्च न्यायालय ने पांडा बाईपास रोड के निर्माण के लिए कर्टी गांव में अधिग्रहीत जमीन के लिए दिये जाने वाले मुआवजे की राशि बढ़ाकर 200 रूपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया था।
न्यायमूर्ति आर वी रवीन्द्रन और न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी की पीठ ने कहा कि राजमार्ग के समीप दो तिहाई एकड़ वाले भूखंड को महज इस आधार पर बिना मूल्य वाली या विकास की संभावना से रहित नहीं माना जा सकता कि हाईवे से संबंधित कानून राजमार्ग के मध्य से दोनों तरफ 40 मीटर तक किसी निर्माण को प्रतिबंधित करता है। राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत इस जमीन को सात रूपये प्रति वर्ग मीटर की दर से जमीन अधिग्रहीत की जिसे संदर्भित अदालत ने बढ़ाकर 154 रूपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया। बहरहाल, उच्च न्यायालय ने इसे बढ़ाकर 200 रूपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने शीर्ष न्यायालय की शरण ली।
तर्क दिया गया था कि ऐसे भूखंड के लिए उच्च मुआवजे का निर्देश नहीं दिया जा सकता है क्योंकि इसमें विकास की संभावना नहीं है और कोई निर्माण भी नहीं किया जा सकता।

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