राज्य में गांवों में रहने वाले लोगों को घर के निकट ही न्याय की सुविधा दिलाने के लिए राज्य में 248 ग्राम न्यायालय खोलने की तैयारी की जा रही है। इससे युवाओं के लिए जहां प्रदेश में 2500 से 3000 प्रत्यक्ष नौकरियों का रास्ता खुलेगा, वहीं, कानून की डिग्री वाले 10 हजार से ज्यादा युवाओं के लिए ये कोर्ट उपयोगी साबित होंगे। हर पंचायत स्तर पर खोले जाने वाले इन न्यायालयों में से पहले चरण में हरेक जिले में एक एक के हिसाब से 33 न्यायालय खोले जा सकते हैं। यह संख्या 50 तक भी जा सकती है। ये न्यायालय खोलने में केंद्र आर्थिक सहयोग करेगा, लेकिन इसकी मात्रा कम होने के कारण राज्य सरकार अभी असमंजस की स्थिति में हैं। हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से इस संबंध में राज्य सरकार को भेजे गए प्रस्ताव और खर्च का परीक्षण कर लिया गया है। इस मामले में अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री के स्तर पर होना हैं। राज्य में अभी 237 पंचायत समितियां है और 9 पंचायत समितियां नई बनी हैं। एक या दो स्थानों पर एक से अधिक ग्राम न्यायालय हो सकते हैं।
गांव के लोगों को छोटे मोटे मामलों के लिए शहर या बड़े कस्बे में स्थित कोर्ट में आना पड़ता है। इनसे मुक्ति दिलाने और अनावश्यक खर्चो से बचाने तथा अन्य न्यायालयों में लम्बित प्रकरणों में कमी के लिए ऐसे न्यायालय की अवधारणा को प्रोत्साहित किया गया है। जिन पंचायत मुख्यालय पर पहले से कोई कोर्ट है, फिर भी ऐसे नए न्यायालय खोले जाएंगे।
ग्राम न्यायालयों का स्तर प्रथम श्रेणी मुंसिफ मजिस्ट्रेट के समकक्ष होगा। इनमें कम सजा वाली धाराओं से जुड़े और छोटे मोटे दीवानी और फौजदारी मामलों की सुनवाई की जा सकेगी। गंभीर मामले पूर्ववत पहले से कार्यरत कोर्टो में चलेंगे।
इन न्यायालयों की स्थापना में करीब एक सौ करोड़ रुपए का खर्च आ सकता है। एक न्यायालय की स्थापना पर अनावर्तक खर्च करीब 20.80 लाख रुपए का हो सकता है, इसमें से 18 लाख रुपए केंद्र सरकार वहन करेगी। यह खर्च एक बार होगा। इसी प्रकार आवर्तक खर्च प्रतिवर्ष 17 लाख रुपए होगा। इसमें से केंद्र 3 लाख रुपए प्रतिवर्ष वहन करेगी और वो भी तीन साल तक, इसके बाद राज्य सरकार को ही भुगतना होगा। ग्राम न्यायालयों में लगाए जाने वाले मजिस्ट्रेटों और अन्य स्टाफ के लिए नई भर्ती होगी। इनमें आरजेएस पद के लिए आरपीएससी के माध्यम से भर्ती की जा सकती है।
इन न्यायालयों की स्थापना में करीब एक सौ करोड़ रुपए का खर्च आ सकता है। एक न्यायालय की स्थापना पर अनावर्तक खर्च करीब 20.80 लाख रुपए का हो सकता है, इसमें से 18 लाख रुपए केंद्र सरकार वहन करेगी। यह खर्च एक बार होगा। इसी प्रकार आवर्तक खर्च प्रतिवर्ष 17 लाख रुपए होगा। इसमें से केंद्र 3 लाख रुपए प्रतिवर्ष वहन करेगी और वो भी तीन साल तक, इसके बाद राज्य सरकार को ही भुगतना होगा। ग्राम न्यायालयों में लगाए जाने वाले मजिस्ट्रेटों और अन्य स्टाफ के लिए नई भर्ती होगी। इनमें आरजेएस पद के लिए आरपीएससी के माध्यम से भर्ती की जा सकती है।
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