नेपाल के उपराष्ट्रपति परमानंद झा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सरकार के आग्रह के बावजूद नेपाली भाषा में शपथ ग्रहण करने से इनकार करने के बाद सोमवार को अपना पद छोड़ दिया।
नेपाल से प्रकाशित हिमालयन टाइम्स और काठमांडू टाइम्स के अनुसार, राष्ट्रपति कार्यालय ने सरकार के अनुरोध पर रविवार को शीतल निवास में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया था। हालांकि, झा ने यहां कहा था कि हिंदी शपथ लेकर मैंने कोई पाप नहीं किया। मैं अंतरिम संविधान में संशोधन के बाद ही फिर से शपथ ग्रहण करूंगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार मुझे एक अप्रभावी उपराष्ट्रपति बनना मंजूर है। उनके इस फैसले के बाद शपथ ग्रहण समारोह निरस्त कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि झा नेपाली में फिर से शपथ ग्रहण करेंगे, तो वे पद पर बने नहीं रह सकते हैं। लेकिन झा ने कहा था कि वे तब तक नेपाली भाषा में शपथ नहीं लेंगे, जब तक सरकार संविधान में संशोधन कर मातृभाषा में शपथ ग्रहण करने का प्रावधान न कर दे। उन्होंने दोबारा शपथ लेने को अनूठा मामला करार दिया था।
नेपाल से प्रकाशित हिमालयन टाइम्स और काठमांडू टाइम्स के अनुसार, राष्ट्रपति कार्यालय ने सरकार के अनुरोध पर रविवार को शीतल निवास में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया था। हालांकि, झा ने यहां कहा था कि हिंदी शपथ लेकर मैंने कोई पाप नहीं किया। मैं अंतरिम संविधान में संशोधन के बाद ही फिर से शपथ ग्रहण करूंगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार मुझे एक अप्रभावी उपराष्ट्रपति बनना मंजूर है। उनके इस फैसले के बाद शपथ ग्रहण समारोह निरस्त कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि झा नेपाली में फिर से शपथ ग्रहण करेंगे, तो वे पद पर बने नहीं रह सकते हैं। लेकिन झा ने कहा था कि वे तब तक नेपाली भाषा में शपथ नहीं लेंगे, जब तक सरकार संविधान में संशोधन कर मातृभाषा में शपथ ग्रहण करने का प्रावधान न कर दे। उन्होंने दोबारा शपथ लेने को अनूठा मामला करार दिया था।
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