
एसीजेएम कोर्ट ने कुछ दिन पहले जैन पर धोखाधड़ी व फर्जी दस्तावेज बनाने के आरोप में प्रसंज्ञान ले गिरफ्तारी वारंट से तलब किया था। इस पर जैन ने जिला-सेशन कोर्ट व हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दी थी लेकिन राहत नहीं मिली। अदालती आदेश के अनुसार जैन ने सोमवार को एसीजेएम संख्या तीन पूनम दरगन की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया।
अदालत में जमानत अर्जी देकर कहा गया कि विवादित दस्तावेज की विशेषज्ञ से जांच नहीं हुई और 73 वर्षीय जैन वरिष्ठ वकील है। जमानत पर रिहा नहीं किया गया तो प्रतिष्ठा धूमिल होगी। दूसरी ओर, शिकायतकर्ता के वकील का कहना था कि आरोपी लोगों के नाम से खुद के पक्ष में अधिकार पत्र बनवाकर दीवानी दावे करने का आदी है। परिवादी पक्ष ने हलफनामा देकर बताया कि आरोपी गवाहों को धमका रहा है।
एसीजेएम ने पारित आदेश में माना कि उम्मेदमल को शिवराज के देहांत का पता था। वकील होते हुए, अपराध की गंभीरता को समझते हुए भी उसने मृत व्यक्ति के नाम दस्तावेज निष्पादित कर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग, न्यायालय को गुमराह किया है।
जैन को जेल भेजने की खबर कुछ ही देर में जिला न्यायालय में फैल गई। जैन की ओर से आदेश के खिलाफ दो घंटे में सेशन कोर्ट में जमानत अर्जी लगा दी गई। सेशन जज ने मामला एडीजे-एक की अदालत में भेज दिया। वहां साढ़े चार बजे सुनवाई हुई तब सैकड़ों वकील मौजूद थे। अदालत ने आदेश सुनाने के लिए मंगलवार की पेशी तय की है।
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