राजस्थान उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार व उत्तार-पश्चिम रेलवे को नोटिस जारी कर पूछा है कि मंजूरी के बावजूद वह जयपुर को शेखावाटी के विभिन्न हिस्सों में जोड़ने वाली मीटर गेज रेल लाइनें ब्रॉडगेज में क्यों नहीं बदल पाया। मुख्य न्यायाधीश जगदीश भल्ला व न्यायाधीश मनीष भंडारी की खंडपीठ ने मां भारती संस्थान की जनहित याचिका पर यह कार्रवाई की।
प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता नितिन जैन ने न्यायालय को बताया कि जयपुर-सीकर-लोहारु, सीकर-चूरू-बीकानेर व चूरू-श्रीगंगानगर मीटरगेज रेल लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने की मंजूरी वर्ष 2007-08, 2008-09 में ही मिल गई, लेकिन वर्ष 2009-10 के रेल बजट में इस योजना के बारे में जिक्र तक नहीं है।
न्यायालय ने केंद्र सरकार तथा उत्तार-पश्चिम रेलवे महाप्रबंधक से जवाब देने को कहा है। याचिका के अनुसार शेखावाटी के छह जिलों के बड़े उद्योगपति असम, पं. बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात व दक्षिणी राज्यों के साथ नेपाल में बसे हैं, इनका आने-जाने का सिलसिला बना रहता है व अनेक औद्योगिक इकाइयां भी हैं। इसके बावजूद रेल परियोजना में इस क्षेत्र की उपेक्षा की गई।
प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता नितिन जैन ने न्यायालय को बताया कि जयपुर-सीकर-लोहारु, सीकर-चूरू-बीकानेर व चूरू-श्रीगंगानगर मीटरगेज रेल लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने की मंजूरी वर्ष 2007-08, 2008-09 में ही मिल गई, लेकिन वर्ष 2009-10 के रेल बजट में इस योजना के बारे में जिक्र तक नहीं है।
न्यायालय ने केंद्र सरकार तथा उत्तार-पश्चिम रेलवे महाप्रबंधक से जवाब देने को कहा है। याचिका के अनुसार शेखावाटी के छह जिलों के बड़े उद्योगपति असम, पं. बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात व दक्षिणी राज्यों के साथ नेपाल में बसे हैं, इनका आने-जाने का सिलसिला बना रहता है व अनेक औद्योगिक इकाइयां भी हैं। इसके बावजूद रेल परियोजना में इस क्षेत्र की उपेक्षा की गई।
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment