भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले की पत्नी चेतना ने अपने पूर्व पति कुमार वी.जागीरदार के खिलाफ 14 वर्षीया बेटी की देखभाल को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में दायर मामले को वापस ले लिया है। अब इस मामले को फिर से बेंगलुरू की परिवार अदालत में खोला जाएगा।
चेतना ने बेंगलुरू की परिवार अदालत के उस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसमें जागीरदार को बेटी की देखभाल का अधिकार देने के लिए कहा गया था। चेतना की बेटी अरुणी अभी उनके कुंबले के साथ ही रहती हैं।
जागीरदार ने कहा है कि उन्हें विश्वास है कि वह परिवार अदालत में यह सिद्ध कर देंगे कि अरुणी उन्हीं के साथ रहना चाहती है और वह अपने घर में उसे ठीक से रख सकते है।
सर्वोच्च न्यायालय ने 27 अगस्त को चेतना से कहा था कि वह बच्ची की देखभाल संबंधी मामले को न्यायालय के बाहर ही निपटाने का प्रयास करें। जागीरदार के वकील प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को कहा था कि मामले में मध्यस्थता इस कारण असफल रही क्योंकि 'बच्ची की मां ने सहयोग नहीं किया।''
न्यायालय में प्रशांत ने कहा कि चेतना को दो और बच्चे हैं, जिस वजह से उन्हें बच्चों के लिए अधिक समय चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी वजह से अरुणी की देखभाल का अधिकार जागीरदार को मिलना चाहिए।
चेतना के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले को परिवार अदातल में फिर से खोलने की जरूरत नहीं है लेकिन मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश तरुण चटर्जी और आर.एम.लोढ़ा ने कहा बच्चे की देखभाल के मामले में हमेशा बच्चे के हित को प्रधानता दी जाती है, जिसके बाद चेतना के वकील ने मामले को वापस ले लिया।
चेतना ने बेंगलुरू की परिवार अदालत के उस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसमें जागीरदार को बेटी की देखभाल का अधिकार देने के लिए कहा गया था। चेतना की बेटी अरुणी अभी उनके कुंबले के साथ ही रहती हैं।
जागीरदार ने कहा है कि उन्हें विश्वास है कि वह परिवार अदालत में यह सिद्ध कर देंगे कि अरुणी उन्हीं के साथ रहना चाहती है और वह अपने घर में उसे ठीक से रख सकते है।
सर्वोच्च न्यायालय ने 27 अगस्त को चेतना से कहा था कि वह बच्ची की देखभाल संबंधी मामले को न्यायालय के बाहर ही निपटाने का प्रयास करें। जागीरदार के वकील प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को कहा था कि मामले में मध्यस्थता इस कारण असफल रही क्योंकि 'बच्ची की मां ने सहयोग नहीं किया।''
न्यायालय में प्रशांत ने कहा कि चेतना को दो और बच्चे हैं, जिस वजह से उन्हें बच्चों के लिए अधिक समय चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी वजह से अरुणी की देखभाल का अधिकार जागीरदार को मिलना चाहिए।
चेतना के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले को परिवार अदातल में फिर से खोलने की जरूरत नहीं है लेकिन मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश तरुण चटर्जी और आर.एम.लोढ़ा ने कहा बच्चे की देखभाल के मामले में हमेशा बच्चे के हित को प्रधानता दी जाती है, जिसके बाद चेतना के वकील ने मामले को वापस ले लिया।
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