पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, September 1, 2009

तमिल पत्रकार को बीस वर्ष की सजा।

श्रीलंका की एक अदालत ने एक तमिल पत्रकार को 20 साल की लंबी सजा सुनाई है। इस पत्रकार को आतंकवादी गतिविधि निरोधक कानून एवं आपातकालीन प्रावधानों के तहत दोषी करार दिया गया है।48 वर्षीय पत्रकार जयप्रकाश तिसैयनायगम पिछले 14 महीनों से हिरासत में हैं। कोलंबो उच्च न्यायालय ने उन्हें 20 साल की सजा सुनाई है। न्यायाधीश दीपाली विजेसुंदरा ने जयप्रकाश के वकील की ओर से पेश दलीलों को खारिज करते हुए उन्हें सश्रम कारावास की सजा सुनाई। उन पर सांप्रदायिक, जातीय और नस्लीय दुर्भावना से प्रेरित होकर आलेख प्रकाशित करने का आरोप है। अदालत ने कहा कि जयप्रकाश का अपराध गंभीर श्रेणी में आता है, इसलिए उनके प्रति नरमी नहीं बरती जा सकती। जयप्रकाश ने नॉर्थ ईस्टर्न हेराल्ड नामक अखबार में ये आलेख लिखे थे। उन पर तमिल विद्रोहियों का समर्थन करने और आतंकवाद के लिए राशि मुहैया कराने का आरोप है

उनके वकील ने इस निर्णय को चुनौती देने की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि कई स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की ओर से उनकी रिहाई की मांग उठती रही है, जबकि सरकार का तर्क है इस पत्रकार की हरकतों से लिट्टे को मदद मिली। पिछले 30 से भी अधिक वर्षो से लागू इस कानून के तहत सजा पाने वाले वह प्रथम पत्रकार हैं।

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